ये मेरी 'प्रखर दैनन्दिनी
जब पहली बार ब्लॉग का कांसेप्ट सुना था तो मन में बात यही बनी थी की यह एक ऑनलाइन डायरी है, पर ब्लॉग बनाया तो सारी लेखनी उड़ेलने का मन हुआ और लिखा हुआ सब कुछ ब्लॉग पर आ गया....आज मन में आया क्यों ना एक डायरी बना ही ली जाये .....रोज का रोज तो लिखना संभव नहीं है पर कोशिश करूँगा लिखने की....और रोजमर्रा का व्यौरा नहीं निमित्त है लिखना पर जो विचार अठखेलियाँ कर जाते हैं उनकी कुछ प्रतिध्वनियाँ अंकित करने की चाहत है ये मेरी 'प्रखर दैनन्दिनी'...
7 comments:
डायरी अपने-आप का सतत मूल्यांकन है...
aashirvad.narayan narayan
चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.
गुलमोहर का फूल
आपकी लेखन शैली का कायल हूँ. बधाई.
शुभकामनाऐं..नियमित पोस्ट करें.
स्वागत है आपका .. इंतजार रहेगा !!
Bahut Barhia...aapka swagat hai... isi tarah likhte rahiye...
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